Bhai Bahan Ka Pyar II भाई बहन का प्यार
जाने कहाँ खो जाता है भाई बहन का प्यार
जब शादी हो जाती है भाई की किसी से
अलग ही बन जाता है भाई का परिवार
वो बचपन का खेलना ,लड़ना ,झगड़ना
एक दूसरे की खिंचाई करना ,मारना पीटना
जाने कहाँ छूट जाता है, वो मीठा सा तकरार
खाने की टेबल पर सबका साथ साथबैठना
वो एक दूसरे की प्लेट की रोटियां छीनना
जाने कहाँ गुम हो जाता है वो लाड़ दुलार
लड़ते थे ,लात घूंसे भी चलाते थे एक दूसरे को
फिर भी लुटाते थे एक दूसरे पर अपनी जान
अम्मा से एक दूजे की शिकायत किया करते थे
सुबह लड़े फिर शाम को मान जाया करते थे
क्यों बढ़ जाती हैं ये दूरियां शादी के बाद
जान कहाँ खो जाता है ,बचपन का संस्कार
याद आता है ,दौड़ के आम के पेड़ पर चढ़ना
भाई का नीचे से हाथ पकड़ कर खींचना
खो गया है बचपन वाला चुलबुला पन
पहले जैसा अब नहीं रहा हमारा इतवार
जाने कहाँ खो जाता है भाई बहन का प्यार
सुनीता श्रीवास्तवा
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